Saturday, June 6, 2020

BJP सांसद ने की वन नेशन वन एजुकेशन की मांग, बोले- बंद किये जाएं देश में चल रहे मदरसे

मुजफ्फरपुर के सांसद और भाजपा नेता अजय निषाद ने अल्पसंख्यक समुदाय के धर्मगुरुओं को टारगेट किया है. सांसद अजय निषाद ने कहा है कि अल्पसंख्यक समुदाय के धर्मगुरु बच्चों के कोमल मन और हृदय में कट्टरपंथ की भावना भर देते हैं और फिर अपने हिसाब से उनका इस्तेमाल करते हैं. आमतौर पर मदरसा में शिक्षा ग्रहण करने वाले ऐसे लोग कम पढ़े लिखे होने के कारण इन धर्मगुरुओं की बात पर चलते हैं. भाजपा नेता ने कहा कि मदरसे से पढ़कर निकलने वाले लोग हिंदू -मुस्लिम की तर्ज पर लड़ाई करने में पर आमदा होते हैं. सांसद ने मदरसा द्वारा दी जा रही शिक्षा को तत्काल बंद करने की वकालत की है.

मदरसा की शिक्षा बंद होनी चाहिए

मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद ने कहा है कि मदरसा द्वारा दी जा रही धर्म के आधार पर शिक्षा समाज को गलत दिशा में ले जा रही है. सांसद ने बिहार सरकार से तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है और मदरसा शिक्षा को दी जा रही करोड़ों की सहायता को तत्काल बंद करने की मांग की है. सांसद ने कहा कि सभी को पढ़ना लिखना और कानून समझना जरूरी है. इसके लिए सभी धर्म के लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने की व्यवस्था होनी चाहिए.

सांसद अजय निषाद ने कहा कि देश पहले हैं फिर हम सभी हैं. इसके लिए आवश्यक है कि वन नेशन वन एजुकेशन के फार्मूले को लागू किया जाए. इसके लिए वो सरकार से भी मांग कर रहे हैं और आने वाले संसद सत्र में इस बात को लेकर अपनी बात सदन के सामने भी रखेंगे ताकि देश में एक समान शिक्षा प्रणाली हो और सभी को शिक्षित होने का अधिकार प्राप्त हो. एक समान शिक्षा मिलने से समाज के सभी वर्गों का समान रूप से विकास संभव हो सकेगा जिससे देश में प्रगति और खुशहाली आ सकेगी. सांसद ने धर्म के आधार पर दी जाने वाली शिक्षा पर रोक की मांग भी क

भाजपा नेता ने यह भी कहा कि बिहार में मौजूदा शिक्षा प्रणाली चौपट हो गई है. स्कूल में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई नहीं कराई जा रही है. केंद्र सरकार के जवाहर नवोदय विद्यालय और सेंट्रल स्कूल का उदाहरण देते हुए सांसद ने बताया कि इन स्कूलों की शिक्षा कई गुना बेहतर है जिसमें बच्चों को संस्कार के साथ हैं उन्हें सही तरीके से शिक्षित भी किया जाता है लेकिन आज बिहार की शिक्षा-व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है जिसे ठीक करने की आवश्यकता है ताकि बच्चों के भविष्य को उज्जवल किया जा सके.

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PM मोदी ने संभाला मोर्चा, इन 5 कदमों से भारत के आगे घुटने टेकने को मजबूर हुआ चीन

लद्दाख (Ladakh) में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सैनिकों (Chinese Troops) की घुसपैठ के बाद भारत (India) और चीन (China) के बीच गतिरोध चल रहा था. लेकिन अब चीन ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. उसके सैनिक अब पीछे हटने लगे हैं. ऐसा भारत की ओर से उस पर चौतरफा दबाव बनाने के कारण हो पाया. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने खुद मोर्चा संभाला और चीन को भारत से अपने कदम पीछे खींचने पड़े. पीएम मोदी ने शुरू से ही पूरे मामले पर नजर रखी. उन्‍होंने कई स्‍तर पर बैठकें भी कीं. उनकी यही रणनीति चीन के खिलाफ काम आईं और उसे भारत के आगे घुटने टेकने पड़े.

पहला कदम: खुद संभाला मोर्चा

लद्दाख में चीनी सैनिकों की भारतीय जमीन पर अतिक्रमण करने के बाद शुरू हुए गतिरोध के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस मामले पर मोर्चा संभाला. वह लगातार देश के शीर्ष अधिकारियों से इस मामले पर जानकारी लेते रहे. पीएम मोदी ने राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ (CDS) जनरल विपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक की. इसमें उन्होंने मामले को जाना
दूसरा कदम: 'जैसे को तैसा' जवाब
चीन की सेना ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में करीब 2500 सैनिकों की तैनाती की थी. वह अस्थायी ढांचे एवं हथियारों को भी बढ़ा रही थी. चीन ने पैंगोंग त्सो इलाके से करीब 180 किलोमीटर दूर अपने सैन्य हवाई अड्डे पर निर्माण गतिविधियों सहित अस्थायी सीमा से अंदर अपने क्षेत्र में रक्षा निर्माण में काफी तेजी लाई है. ऐसे में भारत इस बार झुका नहीं, बल्कि चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया. भारत ने चीन को जवाब देने के लिए बड़ी संख्‍या में सैनिकों की तैनाती एलएसी पर की. ऐसे में चीन का साफ संदेश गया कि भारत इस बार झुकने वाला नहीं है.
चौथा कदम: चीन से नहीं डरा भारत
भारत उस इलाके में एक सड़क बना रहा है. चीन नहीं चाहता कि भारत वहां कोई निर्माण कार्य करे. ऐसे में चीन लद्दाख में अपने सैनिकों की संख्‍या बढ़ा रहा था. उसका मानना था कि भारत पीछे हटकर निर्माण कार्य रोक देगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. भारत ने साफ कहा कि वह किसी कीमत पर निर्माण कार्य नहीं रोकेगा. भारत ने भी अतिरिक्त सैनिकों और तोपों की तैनाती कर अपनी उपस्थिति मजबूत की. भारतीय सेना ने अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए सैनिकों, वाहनों और तोपों सहित सैन्य तैनाती बढ़ा दी.

पांचवां कदम: ऑस्‍ट्रेलिया से समझौता
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने साजोसामान (लॉजिस्टिक) सहयोग के उद्देश्य से एक दूसरे के सैन्य अड्डों तक आपसी पहुंच सुगम बनाने के महत्वपूर्ण समझौते सहित संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए छह अन्य समझौते किए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद ये समझौते हुए. दोनों देशों के बीच हुए साझा लॉजिस्टिक सहयोग समझौते (एमएलएसए) के तहत सम्पूर्ण रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने के अलावा दोनों देशों की मिलिट्री को मरम्मत और आपूर्ति बहाली के लिए एक दूसरे के सैन्य अड्डों का उपयोग करने की बात कही गई है. भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के साथ हुए इस समझौते के कारण चीन की चिंता बढ़ सकती है. क्‍योंकि इसे चीन के खिलाफ रणनीतिक कदम माना जा रहा है. ऑ‍स्‍ट्रेलिया पहले से ही कोविड 19 के लिए चीन को जिम्‍मेदार बता रहा है.

BJP सांसद ने की वन नेशन वन एजुकेशन की मांग, बोले- बंद किये जाएं देश में चल रहे मदरसे

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